
6 Super Foods for Lungs- फेफड़ों की सूजन त्वरित(acute) या पुरानी (chronic) हो सकती है, फेफड़ों की समस्या की कई वजह हो सकती हैं जैसे आजकल चल रहा कोरोना-संक्रमण, अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसे रोग। फेफड़े श्वास लेने के लिए अति महत्वपूर्ण अंग हैं, फेफड़ों की सूजन से साँस लेने में घरघराहट, सांस लेने में कठिनाई या सीने में दर्द और जकड़न हो सकती है।
फेफड़ों की सूजन होने के लक्षण कभी कभी एकदम से सामने आ जाते है, तो कभी कभी धीरे धीरे शरीर में बनते रहते हैं। कई बार रोगी इन लक्षणों को साधारण खाँसी या एलर्जी मानकर एक लम्बे समय तक इन लक्षणों को अनदेखा करता रहता है, खासकर जब ये लक्षण हलके और साधारण होते हैं।
फेफड़े की सूजन हमेशा गंभीर नहीं होती है, जैसे जब कई बार हमें सर्दी या हल्के फ्लू से भी दिक्कत हो जाती हैं। लेकिन निमोनिया या COPD (chronic obstructive airway disease) की शिकायत आने पर आपका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए शरीरिक ऊर्जा का उपभोग करता है, और यदि ऐसे समय पर आपके फेफड़ों की सूजन शरीर के ऑक्सीजन मार्ग में रुकावट पैदा करती हैं तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती हैं।
कभी-कभी गंभीर फेफड़ों की सूजन आपके फेफड़ों में हवा और ऑक्सीजन के अवशोषण को रोक सकती है। यह hypoxemia हाइपोक्सिमिया (फेफड़ों में कम रक्त) या hypoxia हाइपोक्सिया (tissues में कम रक्त ऑक्सीजन) के प्रभाव का कारण बन सकता है, जिसके परिणामस्वरूप चक्कर आना या रोगी का बेहोशी में भी जा सकता है। ऐसी स्थिति में आपको तुरंत चिकित्सक से अग्रिम उपचार शुरू करवाना चाहिए।
आज हम जानेंगे की ऐसे कौन से लक्षण हैं जिनसे आप फेफड़ों की सूजन को शुरुआती अवस्था में पहचान सकते हैं:
फेफड़ों की सूजन के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
इसके इलावा बुखार, वजन घटना या उच्च रक्तचाप जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं, परन्तु ये समस्याएं आपको आगाह करती हैं की आपके फेफड़ों में सूजन भी इसकी वजह हो सकती हैं। जिसके लिए आपको जाँच करवानी चाहिए।
Cigarette Smoking- It's affects over Heart, Lungs, Causes Cancer, ED
यहाँ हम आज आपको बताएँगे 6 ऐसे सुपर foods के बारे जिन्हें रिसर्च के बाद प्रमाणित किया गया है की उनका सेवन फेफड़ों के लिए बहुत ही लाभदायक है- आइये जानते है 6 super Foods for Lungs Health
पुदीने का इस्तेमाल एथलीटों को बेहतर साँस लेने में मदद करता है। जर्नल ऑफ द इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ स्पोर्ट्स न्यूट्रीशन के जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार खेल-कूद और दौड़ने वाले प्रतिभागियों में पुदीने का सेवन फेफड़ों के मसल्स को आराम देता है।
इसी तरह अमेरिकन कैंसर सोसाइटी में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार पुदीने का तेल (essential Pepperment oil) फेफड़े की बीमारियों के इलाज में अति लाभदायक है। शोध से ये भी पता चलता है कि पुदीने का सेवन एथलीटों को बेहतर साँस लेने में मदद करता है।
कैसे करें सेवन:- इनहेलेशन के लिए गर्म पानी में पुदीने के तेल की 3 से 4 बूंदें मिलाएं, अगर आपके पास तेल उपलब्ध न हो तो ताज़ा पुदीना की 20-50 ग्राम मात्रा का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो अमेरिकन कैंसर सोसायटी द्वारा सुझाई गई खुराक है। रिसर्च के अनुसार 500 मिलीलीटर फ़िल्टर water में 0.05 मिलीलीटर पेपरमिंट ऑयल इस्तेमाल किया गया था।
अक्सर आपने सडक किनारे खड़े लम्बे लम्बे पेड़ों को देखा होगा, जी हाँ ये नीलगिरी के पेड़ हैं, कुछ लोगो इन्हें सफेदे का पेड़ भी कहते हैं, पूरे विश्व में इनकी लगभग 600 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। नीलगिरी का तेल फेफड़ों सम्बन्धित बिमारियों और लक्षणों को कम करने में बहुत मददगार है। आपने बहुत से कफ़ सिरप में इसका नाम जरूर देखा होगा। नीलगिरी का तेल antibacterial, antiviral and anti-inflammatory गुणों से भरपूर होता है।
कैसे करें इस्तेमाल:- उबलते पानी की एक कटोरी में नीलगिरी के तेल की कुछ बूँदें डालें और एक तौलिया सिर पर ढक कर आँखें बंद करें और धीरे-धीरे 10 मिनट के लिए इसकी भाप लीजिये। अल्टरनेटिव मेडिसिन रिव्यू में एक रिसर्च में कहा गया है कि यह विधि respiratory infections, rhinitis and sinusitis श्वसन संक्रमण, राइनाइटिस और साइनसाइटिस के लक्षणों को कम करने के लिए प्रभावी है।
हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है, उन्हें Respiratory system (श्वसन तन्त्र) में संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है। रिसर्च के अनुसार सूर्य की धूप विटामिन D का सबसे अच्छा स्त्रोत है।
अगर शरीर में विटामिन D का लेवल कम रहता है तो आप बाज़ार में मिलने वाले sachet भी ले सकते हैं, इनका सेवन हफ्ते में एक बार करना होता है। कुछ का सेवन दूध के साथ और कुछ पानी के साथ भी लिए जा सकते हैं।
An apple a day may keep lung problems at bay
हाल ही में सेंट जॉर्ज अस्पताल मेडिकल स्कूल लंदन के शोधकर्ताओं ने 2500 लोगों पर की एक रिसर्च में पाया जिन प्रतिभागियों ने हफ्ते में पांच सेब का सेवन किया था उनके फेफड़े अन्य से ज्यादा स्वस्थ थे। इसके पीछे उन्होंने कारण बताया सेब में पाया जाने वाला Quercetin compound जो की एक बेहतरीन anti-oxidant है और lungs की health के लिए बहुत बढ़िया है।
American Heart Association’s की 2014 की रिसर्च के अनुसार Blue Berries का सेवन करने से फेफड़ों को हानि पहुँचाने वाले प्रदूषकों का असर खत्म या कम किया जा सकता है। ऐसा उन्होंने बहुत ही प्रदूषण वाले इलाके में रहने वाले बुजुर्गों की खान-पान की आदतों का अध्य्यन करने के उपरांत जाना। Blue Berries anti-oxidant और flavonoids से भरपूर होता है, जो न सिर्फ फेफड़ों के लिए लाभदायक है बल्कि हृदय और दिमाग के लिए भी फायदेमंद है। जो लोग वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए भी Blue Berries का सेवन बहुत मददगार है।
ब्लैक टी या काली चाय में ग्रीन टी से भी ज्यादा anti-oxidant वैल्यू होती है, ब्लैक टी अधिकतर पश्चिमी देशों में ज्यादा इस्तेमाल की जाती है, जिन लोगों के फेफड़े सिगरेट पीने से या pollution की वजह से ख़राब हुए हो उनके लिए ब्लैक टी बहुत फायदेमंद है। आप सुबह शाम के वक्त ब्लैक टी या ब्लैक कॉफ़ी का सेवन कर सकते हैं।
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जब फेफड़े हवा में मिलने वाले हानिकारक विषैले तत्वों के सम्पर्क में आते हैं तो फेफड़ों में सूजन पैदा होती है, न्यूमोनिटिस ऐसी ही एक प्रकार की फेफड़ों की सूजन है जो toxic केमिकलस के सम्पर्क में आने पर पैदा होती है।
फेफड़ों में सूजन की वजह acute ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसे संक्रमण की वजह से भी होती हैं। इसके इलावा COPD जैसे गंभीर संकर्मण की चपेट में आना जानलेवा हो सकता है।
अस्थमा की एपिसोडिक सूजन और ब्रोन्कोस्पास्म (ब्रांकाई का अचानक संकीर्ण होना) है, जिससे फेफड़ों को हवा पहुँचाने में मुश्किल हो जाती है। अस्थमा अटैक से श्वसन संबंधी गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं इसके इलावा अस्थमा अटैक से पहले भी अस्थमा के कुछ लक्षण सामने आ सकते है।
COPD फेफड़ों का गंभीर संक्रमण है जो अधिकतर स्मोकिंग करने वाले लोगों में पाया जाता है, ऐसी स्थिति में रोगी के फेफड़े ख़राब हो जाते हैं, जिससे फेफड़ों में mucous बन जाता है, ऑक्सीजन की कम मात्रा की वजह सी रोगी को हमेशा थकान और साँस लेने में कठिनाई रहती है ।
इसके इलावा फेफड़ों की कई गंभीर समस्याएँ भी हैं, जो निम्नलिखित हैं :-
यदि फेफड़ों में सूजन बहुत समय से चल रही हो तो ऐसे में फेफड़ों का वायुमार्ग airways की दीवारें मोटी हो जाती हैं जिनमें Mucuous जमा होने का खतरा होता है। ऐसे में साँस लेने में दिक्कतें आती हैं और संकर्मण का खतरा गंभीर हो जाता है।
फेफड़ों में Mucuous के जमा होने से शरीर की ऑक्सीजन अवशोषण कम हो जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड का शरीर से निष्कासन कम होता है। ऐसी स्थिति में यदि व्यक्ति बाहरी संकर्मण की चपेट में आ जाये तो शरीर में hypercapnia (carbon dioxide retention) जैसी परेशानी हो जाती है, जिसमें व्यक्ति जो मैकेनिकल रिटेंशन पर रखा जाता है।
फेफड़ों में सूजन की वजह इन्फेक्शन, Irritation या डैमेज होने की वजह से होता है। क्या आप जानते हैं शरीर में सूजन कोई समस्या नहीं है, बल्कि ये शरीर का एक नेचुरल रेस्पोंस है, जब शरीर किसी बाहरी संकर्मण या हमले का शिकार होता है।
कभी-कभी cystic fibrosis सिस्टिक फाइब्रोसिस या एक overreactive immune system ओवररिएक्टिव इम्यून सिस्टम जैसी वंशानुगत बीमारी के कारण भी फेफड़ों में सूजन हो सकती है, जैसे कि ऑटो इम्यून बीमारी Sjögren's syndrome में होता है।
(वायु की थैली), या ब्रांकाई (वायुमार्ग) की सूजन हवा को आपके फेफड़ों से बाहर निकलने से रोकती है और श्वास लेने में दिक्कत पैदा करती है। ऐसे में बहुत से इन्फेक्शन पैदा करने वाले तत्व फेफड़ों में जमा हो जाते हैं और इन्फेक्शन और गंभीर हो जाती हैं।6 Super Foods for Lungs- फेफड़ों की सूजन त्वरित(acute) या पुरानी (chronic) हो सकती है, फेफड़ों की समस्या की कई वजह हो सकती हैं जैसे आजकल चल रहा कोरोना-संक्रमण, अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसे रोग। फेफड़े श्वास लेने के लिए अति महत्वपूर्ण अंग हैं, फेफड़ों की सूजन से साँस लेने में घरघराहट, सांस लेने में कठिनाई या सीने में दर्द और जकड़न हो सकती है।
फेफड़ों की सूजन होने के लक्षण कभी कभी एकदम से सामने आ जाते है, तो कभी कभी धीरे धीरे शरीर में बनते रहते हैं। कई बार रोगी इन लक्षणों को साधारण खाँसी या एलर्जी मानकर एक लम्बे समय तक इन लक्षणों को अनदेखा करता रहता है, खासकर जब ये लक्षण हलके और साधारण होते हैं।
फेफड़े की सूजन हमेशा गंभीर नहीं होती है, जैसे जब कई बार हमें सर्दी या हल्के फ्लू से भी दिक्कत हो जाती हैं। लेकिन निमोनिया या COPD (chronic obstructive airway disease) की शिकायत आने पर आपका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए शरीरिक ऊर्जा का उपभोग करता है, और यदि ऐसे समय पर आपके फेफड़ों की सूजन शरीर के ऑक्सीजन मार्ग में रुकावट पैदा करती हैं तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती हैं।
कभी-कभी गंभीर फेफड़ों की सूजन आपके फेफड़ों में हवा और ऑक्सीजन के अवशोषण को रोक सकती है। यह hypoxemia हाइपोक्सिमिया (फेफड़ों में कम रक्त) या hypoxia हाइपोक्सिया (tissues में कम रक्त ऑक्सीजन) के प्रभाव का कारण बन सकता है, जिसके परिणामस्वरूप चक्कर आना या रोगी का बेहोशी में भी जा सकता है। ऐसी स्थिति में आपको तुरंत चिकित्सक से अग्रिम उपचार शुरू करवाना चाहिए।
आज हम जानेंगे की ऐसे कौन से लक्षण हैं जिनसे आप फेफड़ों की सूजन को शुरुआती अवस्था में पहचान सकते हैं:
फेफड़ों की सूजन के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
इसके इलावा बुखार, वजन घटना या उच्च रक्तचाप जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं, परन्तु ये समस्याएं आपको आगाह करती हैं की आपके फेफड़ों में सूजन भी इसकी वजह हो सकती हैं। जिसके लिए आपको जाँच करवानी चाहिए।
Cigarette Smoking- It's affects over Heart, Lungs, Causes Cancer, ED
यहाँ हम आज आपको बताएँगे 6 ऐसे सुपर foods के बारे जिन्हें रिसर्च के बाद प्रमाणित किया गया है की उनका सेवन फेफड़ों के लिए बहुत ही लाभदायक है- आइये जानते है 6 super Foods for Lungs Health
पुदीने का इस्तेमाल एथलीटों को बेहतर साँस लेने में मदद करता है। जर्नल ऑफ द इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ स्पोर्ट्स न्यूट्रीशन के जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार खेल-कूद और दौड़ने वाले प्रतिभागियों में पुदीने का सेवन फेफड़ों के मसल्स को आराम देता है।
इसी तरह अमेरिकन कैंसर सोसाइटी में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार पुदीने का तेल (essential Pepperment oil) फेफड़े की बीमारियों के इलाज में अति लाभदायक है। शोध से ये भी पता चलता है कि पुदीने का सेवन एथलीटों को बेहतर साँस लेने में मदद करता है।
कैसे करें सेवन:- इनहेलेशन के लिए गर्म पानी में पुदीने के तेल की 3 से 4 बूंदें मिलाएं, अगर आपके पास तेल उपलब्ध न हो तो ताज़ा पुदीना की 20-50 ग्राम मात्रा का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो अमेरिकन कैंसर सोसायटी द्वारा सुझाई गई खुराक है। रिसर्च के अनुसार 500 मिलीलीटर फ़िल्टर water में 0.05 मिलीलीटर पेपरमिंट ऑयल इस्तेमाल किया गया था।
अक्सर आपने सडक किनारे खड़े लम्बे लम्बे पेड़ों को देखा होगा, जी हाँ ये नीलगिरी के पेड़ हैं, कुछ लोगो इन्हें सफेदे का पेड़ भी कहते हैं, पूरे विश्व में इनकी लगभग 600 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। नीलगिरी का तेल फेफड़ों सम्बन्धित बिमारियों और लक्षणों को कम करने में बहुत मददगार है। आपने बहुत से कफ़ सिरप में इसका नाम जरूर देखा होगा। नीलगिरी का तेल antibacterial, antiviral and anti-inflammatory गुणों से भरपूर होता है।
कैसे करें इस्तेमाल:- उबलते पानी की एक कटोरी में नीलगिरी के तेल की कुछ बूँदें डालें और एक तौलिया सिर पर ढक कर आँखें बंद करें और धीरे-धीरे 10 मिनट के लिए इसकी भाप लीजिये। अल्टरनेटिव मेडिसिन रिव्यू में एक रिसर्च में कहा गया है कि यह विधि respiratory infections, rhinitis and sinusitis श्वसन संक्रमण, राइनाइटिस और साइनसाइटिस के लक्षणों को कम करने के लिए प्रभावी है।
हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है, उन्हें Respiratory system (श्वसन तन्त्र) में संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है। रिसर्च के अनुसार सूर्य की धूप विटामिन D का सबसे अच्छा स्त्रोत है।
अगर शरीर में विटामिन D का लेवल कम रहता है तो आप बाज़ार में मिलने वाले sachet भी ले सकते हैं, इनका सेवन हफ्ते में एक बार करना होता है। कुछ का सेवन दूध के साथ और कुछ पानी के साथ भी लिए जा सकते हैं।
An apple a day may keep lung problems at bay
हाल ही में सेंट जॉर्ज अस्पताल मेडिकल स्कूल लंदन के शोधकर्ताओं ने 2500 लोगों पर की एक रिसर्च में पाया जिन प्रतिभागियों ने हफ्ते में पांच सेब का सेवन किया था उनके फेफड़े अन्य से ज्यादा स्वस्थ थे। इसके पीछे उन्होंने कारण बताया सेब में पाया जाने वाला Quercetin compound जो की एक बेहतरीन anti-oxidant है और lungs की health के लिए बहुत बढ़िया है।
American Heart Association’s की 2014 की रिसर्च के अनुसार Blue Berries का सेवन करने से फेफड़ों को हानि पहुँचाने वाले प्रदूषकों का असर खत्म या कम किया जा सकता है। ऐसा उन्होंने बहुत ही प्रदूषण वाले इलाके में रहने वाले बुजुर्गों की खान-पान की आदतों का अध्य्यन करने के उपरांत जाना। Blue Berries anti-oxidant और flavonoids से भरपूर होता है, जो न सिर्फ फेफड़ों के लिए लाभदायक है बल्कि हृदय और दिमाग के लिए भी फायदेमंद है। जो लोग वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए भी Blue Berries का सेवन बहुत मददगार है।
ब्लैक टी या काली चाय में ग्रीन टी से भी ज्यादा anti-oxidant वैल्यू होती है, ब्लैक टी अधिकतर पश्चिमी देशों में ज्यादा इस्तेमाल की जाती है, जिन लोगों के फेफड़े सिगरेट पीने से या pollution की वजह से ख़राब हुए हो उनके लिए ब्लैक टी बहुत फायदेमंद है। आप सुबह शाम के वक्त ब्लैक टी या ब्लैक कॉफ़ी का सेवन कर सकते हैं।
Magic Lungs Tea- घर पर बनायें फेफड़ों के लिए फायदेमंद चाय का नुस्खा
जब फेफड़े हवा में मिलने वाले हानिकारक विषैले तत्वों के सम्पर्क में आते हैं तो फेफड़ों में सूजन पैदा होती है, न्यूमोनिटिस ऐसी ही एक प्रकार की फेफड़ों की सूजन है जो toxic केमिकलस के सम्पर्क में आने पर पैदा होती है।
फेफड़ों में सूजन की वजह acute ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसे संक्रमण की वजह से भी होती हैं। इसके इलावा COPD जैसे गंभीर संकर्मण की चपेट में आना जानलेवा हो सकता है।
अस्थमा की एपिसोडिक सूजन और ब्रोन्कोस्पास्म (ब्रांकाई का अचानक संकीर्ण होना) है, जिससे फेफड़ों को हवा पहुँचाने में मुश्किल हो जाती है। अस्थमा अटैक से श्वसन संबंधी गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं इसके इलावा अस्थमा अटैक से पहले भी अस्थमा के कुछ लक्षण सामने आ सकते है।
COPD फेफड़ों का गंभीर संक्रमण है जो अधिकतर स्मोकिंग करने वाले लोगों में पाया जाता है, ऐसी स्थिति में रोगी के फेफड़े ख़राब हो जाते हैं, जिससे फेफड़ों में mucous बन जाता है, ऑक्सीजन की कम मात्रा की वजह सी रोगी को हमेशा थकान और साँस लेने में कठिनाई रहती है ।
इसके इलावा फेफड़ों की कई गंभीर समस्याएँ भी हैं, जो निम्नलिखित हैं :-
यदि फेफड़ों में सूजन बहुत समय से चल रही हो तो ऐसे में फेफड़ों का वायुमार्ग airways की दीवारें मोटी हो जाती हैं जिनमें Mucuous जमा होने का खतरा होता है। ऐसे में साँस लेने में दिक्कतें आती हैं और संकर्मण का खतरा गंभीर हो जाता है।
फेफड़ों में Mucuous के जमा होने से शरीर की ऑक्सीजन अवशोषण कम हो जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड का शरीर से निष्कासन कम होता है। ऐसी स्थिति में यदि व्यक्ति बाहरी संकर्मण की चपेट में आ जाये तो शरीर में hypercapnia (carbon dioxide retention) जैसी परेशानी हो जाती है, जिसमें व्यक्ति जो मैकेनिकल रिटेंशन पर रखा जाता है।
फेफड़ों में सूजन की वजह इन्फेक्शन, Irritation या डैमेज होने की वजह से होता है। क्या आप जानते हैं शरीर में सूजन कोई समस्या नहीं है, बल्कि ये शरीर का एक नेचुरल रेस्पोंस है, जब शरीर किसी बाहरी संकर्मण या हमले का शिकार होता है।
कभी-कभी cystic fibrosis सिस्टिक फाइब्रोसिस या एक overreactive immune system ओवररिएक्टिव इम्यून सिस्टम जैसी वंशानुगत बीमारी के कारण भी फेफड़ों में सूजन हो सकती है, जैसे कि ऑटो इम्यून बीमारी Sjögren's syndrome में होता है।
(वायु की थैली), या ब्रांकाई (वायुमार्ग) की सूजन हवा को आपके फेफड़ों से बाहर निकलने से रोकती है और श्वास लेने में दिक्कत पैदा करती है। ऐसे में बहुत से इन्फेक्शन पैदा करने वाले तत्व फेफड़ों में जमा हो जाते हैं और इन्फेक्शन और गंभीर हो जाती हैं।