
Kidney disease or Kidney Failure Treatment In Hindi रक्त में यूरिया, क्रिएटिनिन, पोटाशियम की मात्रा बढ़ना किडनी की बीमारी का संकेत है यूरिया का निर्माण लीवर में प्रोटीन का मेटाबोलिज्म होने के कारण होता है। अगर किडनी में किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं है तो किडनी सही ढंग से फिल्ट्रेशन करती है।
यदि किडनी किसी बीमारी से ग्रसित है तो वो रक्त में मौजूद यूरिया, क्रिएटिनिन, पोटाशियम को फ़िल्टर नहीं कर पाती, जिससे रक्त में इनकी मात्रा बढ़ती जाती है. खून में यूरिया, क्रिएटिनिन, पोटाशियम की मात्रा अधिक होना ये बताती है की रोगी Acute Kidney Disease या Chronic Kidney Disease या Kidney Failure से पीड़ित है।
Kidney Function Test In Hindi को चेक करने के लिए रक्त में मुख्य रूप से यूरिया BUN -Blood Urea Nitrogen, क्रिएटिनिन, पोटाशियम की मात्रा को मॉनिटर किया जाता है के इनका लेवल क्या हो गया है..
खून में उपरोक्त लेवल यूरिया (BUN -Blood Urea Nitrogen ), क्रिएटिनिन, पोटाशियम की मात्रा बढ़ने का अर्थ है की आप की किडनी सही तरीके से काम नहीं कर रही है. तो ऐसे में क्या करें के ये लेवल कम हो जाएँ.
How to reduce urea – यूरिया का निर्माण लीवर में प्रोटीन का मेटाबोलिज्म होने के कारन होता है इसलिए जिन लोगो में यूरिया की मात्रा रक्त में ज्यादा होती है उन लोगों को प्रोटीन का कम सेवन करना चाहिए उन लोगों को दूध के प्रोडक्ट जैसे पनीर आदि का सेवन नहीं करना चाहिए इसके साथ ही अंडो मीट, दालों ,फलियों अनाज का सेवन कम करना चाहिए
विटामिन C एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है जो किडनी को फ्री रेडिकल के प्रभाव से बचाता है इसके साथ साथ शरीर में आयरन की मात्रा को बनाये रखता है गौरतलब है कि किडनी की बीमारी Kidney Disease में रोगी का हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है अगर रक्त में आयरन की मात्रा सही रहेगी तो खून की कमी यानि अनेमिया की समस्या नहीं होगी इसके साथ विटामिन c किडनी को ज्यादा यूरिन बनाने के लिए उतेजित करता है जिससे यूरिया और क्रिएटिनिन फिल्क्टर आसानी से हो सकते है
करेले का जूस शरीर को Detoxify करता है इसके साथ ही जिन लोगो को किडनी की बीमारी Kidney Disease के साथ डायबिटीज है उनके लिए भी काफी लाभदायक है ये शरीर को साफ करता है और हानिकारक पदार्थो को शरीर से बहार निकलता है
आप एल्कलाइन सब्जियों का सेवन कर सकते हैं जैसे गोभी, गाजर क्योकि एल्कलाइन यूरिन होने से यूरिया का इफ़ेक्ट शरीर में कम हो जाता है इसके साथ खीरा, नीम्बू , दालचीनी और हल्दी और लाल शिमला मीर्च इत्यादि सेवन रक्त में यूरिया की मात्रा को कम कर सकता है.
शरीर में पानी की मात्रा की कमी न आने दे जिससे ब्लड वॉल्यूम अधिक रहता है क्योकि शरीर में पानी कम होने से ब्लड वॉल्यूम कम हो जाता है जिससे यूरिया बढ़ जाता है ज्यादा पानी पीने से यूरिन अधिक लगता है जिससे ज्यादा यूरिया शरीर से बाहर निकलता है।
शराब के सेवन से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे किडनी का फिल्ट्रेशन सिस्टम प्रभावित होता है
क्योकि पोटाशियम कोशिकाओं में साल्ट की मात्रा को नियंत्रित करता है जब पोटाशियम की नियंत्रित मात्रा रक्त में मौजूद होती है तो किडनी पर लोड कम पड़ता है जिससे किडनी का फिल्ट्रेशन सिस्टम सही रहता है और यूरिया भी फ़िल्टर करने में सहायता मिलती है
किडनी के मरीजो को लगातार ब्लड प्रेशर की दवा टाइम पर लेनी चाहिए और अपना ब्लड प्रेशर चेक करते रहना चाहिए अगर किडनी के डैमेज को रोकना है तो आपको अपने ब्लड प्रेशर को सामान्य रखना होगा क्योकि ब्लड प्रेशर ज्यादा होने से किडनी को नुकसान होता है जिससे आपका क्रिएटिनिन बढ़ता जाता है
बीडी सिगरेट पीने से आपकी रक्त वाहिनियों में सिकुडन आ जाती है जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है जो किडनी के मरीजो के लिए हानिकारक होता है
रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने से रक्त वाहिनियाँ Blood Vessels Hard हो जाती है जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है
किडनी रोगी जिनमे क्रिएटिनिन बढ़ा हुआ है उन लोगों को प्रोटीन का कम सेवन करना चाहिए उन लोगों को दूध के प्रोडक्ट जैसे पनीर आदि का सेवन नहीं करना चाहिए इसके साथ ही अंडो मीट, दालों ,फलियों अनाज का सेवन कम करना चाहिए
शरीर में पानी की कमी होने से भी रक्त सान्द्र हो जाता है जिससे क्रिएटिनिन का लेवल बढ़ जाता है क्योकि रक्त जितना तनु होगा उतना अधिक क्रिएटिनिन फ़िल्टर होगा
किडनी के मरीज को ज्यादा भारी काम या एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए क्योकि इससे मासपेशियों में टूट फूट होने के कारण क्रिएटिनिन बढ़ सकता है।
किडनी रोगी के शरीर में किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होने से भी क्रिएटिनिन का लेवल रक्त में बढ़ जाता है।
किडनी रोगी अपनी डाइट में फाइबर का सेवन बढ़ा सकता है क्योकि फाइबर युक्त डाइट क्रिएटिनिन के लेवल को कम कर सकती है “European Journal of Clinical Nutrition,”के अनुसार फाइबर क्रिएटिनिन को तोड़ सकते है। फाइबर मुख्यतः फ़ल और सब्जियों में होते है, लेकिन जिन किडनी रोगियों में पोटैशियम और फॉस्फोरस की मात्रा बढ़ी हुई है वो फाइबर का सेवन करने से पहले डॉक्टर की राय लें।
कुछ दवाईयों का सेवन करने से भी क्रिएटिनिन का लेवल रक्त में बढ़ जाता है इसलिए इन दवाओं को तुरंत बंद कर देना चाहिए क्योकि ये किडनी को डैमेज करती है जैसे Pain Killers, vancomycin, Amikasin, gentamicin and cefoxitin इत्यादि. इन दवाओं को nephro Toxic Drugs कहा जाता है.
काफी शोधो से पता लगा है की Alpha Lipoic Acid किडनी में होने वाले डैमेज को रोकता है ये मुख्य रूप से किडनी की कोशिकाओ को होने वाले नुकसान से बचाता है साथ में किडनी में सुजन को भो कम करता हैं ये मुख्य रूप से गोभी, पालक, आलू इत्यादि में पाया जाता है.
पोटाशियम की मात्रा किडनी के मरीजो के रक्त में बढ़ जाती है जिसकी वजह से किडनी की मरीजो को घबराहट और हार्ट की समस्या हो सकती है जिसमे उनकी धड़कन बढ़ जाती है इसलिए किडनी के मरीजों में पोटाशियम की मात्रा को सामान्य रखना जरुरी है जब किसी भी किडनी के मरीज में पोटाशियम की मात्रा बढ़ जाये तो उसको सामन्यता नीम्बू , संतरा ,केला जैसे पोटैशियम वाले फलों का सेवन बंद कर देना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योकि ज्यादा मात्रा में पोटैशियम बढ़ने से हार्ट की दिक्कत हो सकती है.
100 ग्राम पुनर्नवा और 100 ग्राम भूमि आंवला दोनों को बराबर लेकर इनको कूट पीस लो, और आपस में मिला लो, दो चम्मच एक गिलास पानी में 24 घंटे तक भिगो कर रख दीजिये, 24 घंटे बाद एक सूती कपडे से मल छान कर निचोड़ कर रोगी को पिला दीजिये, ऐसा दिन में 2 बार करना है. 24 – 24 घंटे के बाद रोगी को पिलाइए, ऐसा करने से किडनी, हृदय, श्वांस इत्यदि रोग नष्ट होते हैं.